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स्वर्ग का वह देवता जिसे भगवान शिव ने जला दिया था जिन्दा | जानिए...

Jan 03 2019

Posted By:  Sandeep

भगवान शिव सृष्टि के सर्वशक्तिशाली देवता कहे जाते है | इसलिए इन्हे "देवो के देव महादेव" के नाम से भी जाना जाता है | इनके सामने खुद भगवान विष्णु नतमस्तक रहते है | यूँ तो भगवान शिव काफी भोले है | लेकिन यदि इन्हे क्रोध आता है तो इनकी तीसरी आँख से निकलने वाली ज्वाला से शत्रु चंद समय में भस्म हो जाता है | ऐसा ही एक वाकया आज हम आपको बताने जा रहे है |  


बात उस समय की है जब माँ सती के पिता ने एक महान यज्ञ किया था | उस यज्ञ में देवताओ से लेकर असुरो तक सभी को निमंत्रण दिया गया था | लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया था | कुछ ऋषियों ने इसका कारण भगवान शिव की वेशभूषा और उनके स्वभाव को बताया है | जब इस यज्ञ में भगवान शिव को नहीं बुलाया गया तो उनकी पत्नी माता सती बिना बुलाये ही यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए चली गयी | 

जहाँ माँ सती का बहुत अपमान हुआ | जिस वजह से माँ सती ने हवन कुंड में खुद को झोंक दिया था | भगवान शिव ने इसका बदला लेते हुए उनके ससुर का गला काट दिया था | लेकिन वे माँ सती का विच्छोह नहीं सह सके और गहन समाधी में लीन हो गये | भगवान विष्णु ने हिमालय की बेटी के रूप में माँ सती को पुनः जन्म देने के बारे में सोचा | 



वर्षो बीत गये | माँ सती ने पुनः जन्म पार्वती के रूप में लिया | लेकिन अभी भी भगवान शिव समाधी से बाहर नहीं आये थे | काफी समय तक शिवजी के समाधी में रहने के कारण तीनो लोको का संतुलन बिगड़ने लगा | इसलिए भगवान विष्णु ने किसी भी तरह देवताओ को शिव जी की तपस्या भंग करने का आदेश दिया |

सभी देवताओ ने हर संभव प्रयास कर लिया | लेकिन कोई भी देवता भगवान शिव की तपस्या भंग कर पाने में सफल नहीं हो सका | भगवान विष्णु ने कामदेव को समाधी भंग करने के लिए कहा | कामदेव ने एक पुष्प रुपी बाण भगवान शिव पर छोड़ा | जिससे भगवान शिव की समाधी टूट गयी | इससे सभी देवता ख़ुशी से पागल हो गये | लेकिन उनकी यह ख़ुशी गम में बदल जायेगी | यह किसी ने सोचा तक ना था | 


भगवान शिव की समाधी भंग होने के कारण उनकी तीसरी आंख खुल गयी | शिव तपस्या भंग कर कामदेव भगवान शंकर के ठीक सामने खड़े हुए थे | शिवजी को इतना क्रोध आया की उनकी तपस्या भंग करने वाले कामदेव को भस्म कर दिया | यह दृश्य देखकर देव और ऋषि काफी भयभीत हो गये और तुरंत विष्णु जी के पास चले गये | भगवान विष्णु ने शिवजी का क्रोध शांत किया | कुछ ऋषियों का कहना था की भगवान शिव ने कामदेव को पुनः जीवित कर दिया था | इसलिए कामदेव कलयुग में भी जीवित है | लेकिन अधिकांश विद्वानों ने इस बात का विरोध किया है |
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